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celebrating the V-Day

Wednesday, February 15, 2012



Dedicated to all Singles on the V-Day

They do have a strong reason to celebrate. After all they have enjoyed unparalleled freedom, autonomy and an carefree state of life.

no offence meant to any of the couples though :P



4 comments

  1. वै० दिने पर छड़ेयां जो छणूका..
    ***
    वै०दिने जो छड़े कैंह नी मनाण ?
    इस्दें पिच्छें भी इक बड्डी काण.
    तिन्हां मा:रीयां अणमुक्क मौजां,
    शहन्शाह अप्पी, कनैं लापरवाह,
    अप्पी सब किछ मस्त मलंग,
    छड़े भी एह दिन कैंह नी मनाण,
    तां ब्याहतेयां जोड़ेयां जो न पौयै भई टुम्ब.

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  2. वेलेन्टाईन डे पर उधृत चार पंक्तियां एकलों के उस सच का उद्घाटन करतीं जो विवाहितों के लिये अप्रत्याशित है. एकलों ने इन पंक्तियों में उन्हें उपलब्ध अपरिमित स्वातन्त्रता और उत्तरदायित्व विहीनता का दावा करते हुये विवाहितों को चिढ़ा कर अपनी भड़ांस को निकाला है.
    मुदित ने अपने पैन्सिल चित्र के माध्यम से इस एह्सास को जो भाषा दी है वह तथाकथित चार पंक्तियों की तुलना में बहुत कुछ कह गई है.
    अतिविशालकाय और आकाश स्पर्शी दयारों के बीच एकल रास्ते पर अकेला व्यक्ति, सूरज के छने हुये प्रकाश जो व्योमीय प्रकाश मात्र प्रतीत होता है, के सहारे अलवेलों की तरह जेबों में हाथ डाले चला जा रहा है, अनजाने लक्ष्य की ओर. वह जिसे अकेलेपन की मौज़ बघार रहा है, वह वास्त्विकता में एक ऎसी मौन चीख है जो इस चित्र के माध्यम से विवशतापूर्ण दृष्टीगोचर हो रही है. यही नहीं, चित्र को देखने वाले के हृदय को द्र्वित कर रही है. चित्रकार के मन की व्यथा छुपी नहीं बल्कि बहुत उद्वेग से प्रदर्शित हो रही है. वे लोग जो जोड़े बना कर रह रहे हैं, अपने-अपने घोंगों में अपनी- अपनी दुनियां में मस्त हैं- और एकल ? उसके रास्ते किसी घोंसले की ओर नहीं जाते दिखते. हवा में वेदना की संगीत लहरियां भी बिखर कर की मौन हुई जा रहीं हैं. केवल एक सन्नाटा है जिसने मुझे तो तो इतना विह्वल कर दिया है कि मेरी आन्खें परल-परल बह रहीं हैं और गले में इतने जोर का धक्का मह्सूस हो रहा है कि मुझे शब्द नहीं सूझ रहे हैं......
    Tej Kumar Sethi

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  3. very beautiful sketch and very true written

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